DO VIVAH KE YOG – दो विवाह के योग जन्म कुंडली से जाने – जन्म कुंडली व्यक्ति के सभी राज खोल सकती है ऐसे ही अगर किसी के जन्म कुंडली में दो विवाह योग हो उसे भी बहुत ही आसानी से पता लगाया जा सकता है तो आइये जाने कही आपके जन्म कुंडली में दो विवाह योग तो नहीं बना रहा
जन्म कुंडली में पाया क्या होता है
जन्मपत्री को जन्मकुंडली भी कहा जाता है इस जन्मकुंडली में आकाश का नक्शा बना हुआ होता है यह नक्शा उस समय बनाया जाता है जब कोई बच्चा या बच्ची जन्म लेती है कुंडली ग्रह को देखकर बनाया जाता है जब बच्चा का इस दुनिया में जन्म होता है उस समय आकाश में कौन सा ग्रह कहा पर है यह सब देखने के बाद जन्म कुंडली बनाया जाता है
एक जन्मकुंडली में नौ ग्रह एंव 12 राशियों को दर्शया जाता है क्योकि मनुष्य के जीवन में ग्रह एंव राशिया ही अच्छे एंव बुरे प्रभाव डालती है एक जन्म कुंडली को देखकर यह भी बताया जा सकता है कि व्यक्ति के जीवन में दो विवाह योग है या नहीं ऐसे बहुत से लोग जानकारी चाहते है दो विवाह योग कुंडली क्या है ?
दो विवाह के योग
यहाँ पढ़े गर किसी व्यक्ति को दो विवाह योग का पता करना है ऐसे में जन्म कुंडली को देखना होगा आइये जाने जन्म कुंडली से दो विवाह योग रेखा कैसे देखें – जब जन्म कुंडली में सप्तम स्थान पर सूर्य के साथ शनि ग्रह नजर आता है ऐसे में व्यक्ति के जीवन में दो विवाह या शादी का योग बनता है
जब सूर्य ग्रह के साथ राहू या फिर सूर्य के साथ केतू दिखाई दे तो ऐसे में दो विवाह योग बनता है मंगल एंव राहू ग्रह का कुंडली के सप्तम स्थान पर होना दो विवाह के योग को दर्शाता है जब शुक्र ग्रह के साथ कोई भी अन्य ग्रह जैसे: सूर्य, शनि, मंगल, राहू और केतू इत्यादि एक दिखाई देता है ऐसे में व्यक्ति के जीवन में दो विवाह का योग बनता है
जन्म कुंडली में विवाह योग DO VIVAH KE YOG
विवाह होने के बाद एक गृहस्थ जीवन की शुरुवात होती है जब तक विवाह न हो जाएं तब तक आप एक व्यक्ति है लेकिन विवाह होने के बाद आप एक व्यक्ति नहीं आपका परिवार हो जाता है
अगर आपके जन्म कुंडली में विवाह योग है या नहीं ग्रहों एंव नक्षत्रो से आसानी से पता लगाया जा सकता है ऐसे में आइये जाने हिन्दू धर्म के अनुसार जन्म कुंडली में विवाह योग 2024
जब किसी व्यक्ति का विवाह हो जाता है ऐसे में वह व्यक्ति सामाजिक रूप से एक जिम्मेदार व्यक्ति बन जाता है एंव समाज में एक अलग प्रतिष्ठा भी बनती है विवाह के बिना कहा जाता है जीवन अधूरा होता है इसलिए हर व्यक्ति समय पर विवाह करना चाहता है लेकिन विवाह योग सबके कुंडली में नहीं होता
भारत देश में विवाह के लिए कानून के साथ साथ धार्मिक प्रथाए, रीति रिवाज भी बनाये गए है इस देश में अधिकतर पारंपरिक विवाह देखने को मिलता है लेकिन देश दुनिया जिस तरह से तरक्की कर रहा है इसी तरह से आज कल के बच्चे एंव बच्चिया भी इसलिए आज के समय में अरेंज मैरिज के साथ साथ लव मैरिज का चलन भी काफी तेजी से फ़ैल रहा है
जन्म कुंडली में विवाह योग
एक व्यक्ति की जन्म कुंडली बहुत कुछ कहती है ऐसे में जन्म कुंडली में विवाह योग भी होता है जब कुंडली में विवाह योग कारक जैसे बृहस्पति, जन्म कुंडली के पंचम स्थान पर दृष्टि डालता है इस दृष्टि का मतलब यह हुआ व्यक्ति के जन्म कुंडली में विवाह योग बना हुआ है
बृहस्पति ग्रह का भाग्य स्थान में बैठ जाना और महादशा में बृहस्पति होना भी विवाह योग को दर्शाता है यदि वर्ष कुंडली में बृहस्पति पंचमेश होकर एकादश स्थान में बैठा हुआ है ऐसे में उस वर्ष व्यक्ति या जातक का विवाह होने की बहुत ज्यादा संभावनाएं होती है
विवाह के कारक ग्रहों में बृहस्पति के साथ शुक्र, चंद्रमा एवं बुद्ध भी योगकारी माने जाते हैं। जब इन ग्रहों की दृष्टि भी पंचम स्थान पर दिखाई दे ऐसे में जातक के विवाह योग बन रहे है कहा जा सकता है यदि पंचमेश या सप्तमेश का एक साथ दशाओं में चलना भी विवाह के लिये सहायक होता है। सातवे स्थान पर कुंडली मे बुध ग्रह का होना मतलब शादी होने की संभावना दिखाई दे रहा है
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जन्मकुण्डली मे चार ग्रह गुरु, शुक्र, बुध, चंद्र होना शुभ माना जाता है अगर इनमे से कोई ग्रह कुंडली में सातवे स्थान पर हो तो विवाह योगा बना हुआ कहा जा सकता है अगर आपको विवाह योग कैलकुलेटर की जरुरत है ऐसे में थोडा इंतेजार करें हम जल्दी ही शादी या विवाह योग कैलकुलेटर फ्री इन हिंदी में लेकर आने वाले है इस विवाह योग कैलकुलेटर में आप जन्मकुंडली से विवाह योग आसानी से पता कर पाएंगे
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