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KUMBH VIVAH KYU KIYA JATA HAI

KUMBH VIVAH – कुंभ विवाह क्यों किया जाता है

KUMBH VIVAH KYU KIYA JATA HAI कुंभ विवाह क्यों किया जाता है हिन्दू धर्म में कुम्भ विवाह की परम्परा चली आ रही है लेकिन कुंभ विवाह कैसे और क्यों किया जाता है जाने

KUMBH VIVAH KYU KIYA JATA HAI
KUMBH VIVAH KYU KIYA JATA HAI

कुम्भ विवाह क्या होता है

Kumbh Vivah Kya Hota hai: मांगलिक दोष को दूर करने के लिए कुम्भ विवाह करना बेहद जरुरी होता है जब किसी के जन्मकुंडली में 1,4,7,8,12वे स्थान पर मंगल बैठा हो ऐसे में मंगल का प्रभाव 7वे घर पर पड़ता है

जन्मकुंडली देखने पर पता चलता है की 7वा घर पत्नी या जीवनसंगनी का होता है वर वधु के विवाह से पहले जन्मकुंडली के 7वे घर को गहराई से जांच किया जाता है जब मंगल दोष का प्रभाव 7वे घर पर हो ऐसे में उसे मांगलिक दोष कहा जाता है

मांगलिक दोष लगभग पैतीस प्रतिशत लोगों की जन्म कुंडलि में देखने को मिलता है जो मंगल दोष की गहराई से जांच करने पर पता चलता है जो वर वधु मांगलिक दोष या अन्य दोष से प्रभावित है एंव इसके कारण विवाह टूटने का योग बन रहा है फिर जन्मकुंडली देखने के बाद कुम्भ विवाह की सलाह दी जाती है

कुंभ विवाह क्यों किया जाता है

जब किसी कन्या के जन्म कुंडली में विधवा योग बनता है ऐसे में कुम्भ विवाह संस्कार करके कन्या के इस दोष को दूर किया जाता है धर्म के अनुसार अगर किसी कन्या की कुम्भ विवाह का निवारण करे बिना किसी से विवाह कर दिया जाए ऐसे में कन्या विधवा हो जाती है इसलिए कुम्भ विवाह करना बहुत जरुरी होता है

दोष को हटाने के लिए कन्या का विवाह पहले मिटटी के बर्तन में स्थापित भगवान विष्णु के साथ किया जाता है कुम्भ विवाह समारोह बहुत ही सरल तरीके से होता है जिसमे कन्या का विवाह दहेज़ सामग्री भी होता है जब एक बार कुम्भ विवाह सम्पन्नं हो जाता है फिर भगवान विष्णु की मूर्ति को जलाशय में विसर्जित कर दिया जाता है इस तरह से कुम्भ विवाह सम्पूर्ण किया जाता है

जाने कुंभ विवाह कैसे किया जाता है

कुम्भ विवाह पूरी विधि विधान से किया जाता है जब कन्या के जन्मकुंडली में दो विवाह योग मिलता है उसके बाद कन्या का कुम्भ विवाह किया जाता है जिस तरह से किसी व्यक्ति के साथ विवाह पूर्ण किया जाता है ऐसे ही कुम्भ विवाह में किसी निर्जीव के साथ कन्या का विवाह किया जाता है

उत्तर भारत में कुम्भ विवाह भगवान विष्णु की प्रतिमा के साथ किया जाता है अगर किसी कन्या के जन्मकुंडली में वैधव्य योग मिलता है कुम्भ-विवाह विष्णु-विवाह एंव अश्वाथा-विवाह कुंडली में मांगलिक दोष होने पर किया किया जाता है जब विवाह इन पद्धतियों में से किसी एक से कर दिया जाए उसके बाद मांगलिक दोष से प्रभावित वर वधु का विवाह गैर-मांगलिक दोषयुक्त कुंडली वाले के साथ किया जा सकता है

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