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MAHILAO KE KANUNI ADHIKAR - महिलाओं के कानूनी अधिकार

MAHILAO KE KANUNI ADHIKAR – महिलाओं के कानूनी अधिकार जानिये

MAHILAO KE KANUNI ADHIKAR IN HINDI महिलाओं के कानूनी अधिकार इन हिंदी महिलाओं के लिए कौन-कौन से कानून है भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार क्या है

भारत में महिलाओं के कानूनी अधिकार क्या है अक्सर महिलाओं को ही नहीं पता होता है ऐसे में यह लेख महिलाओं के कानूनी अधिकार की जानकारी के लिए लिखा जा रहा है आइये जाने

MAHILAO KE KANUNI ADHIKAR - महिलाओं के कानूनी अधिकार
MAHILAO KE KANUNI ADHIKAR महिलाओं के कानूनी अधिकार

महिलाओं के कानूनी अधिकार MAHILAO KE KANUNI ADHIKAR

यहाँ जानिए महिलाओं के कानूनी अधिकार MAHILAO KE KANUNI ADHIKAR ? – ऐसी बहुत सी महिलाए है जो कानूनी अधिकार उनके क्या क्या है जानकारी नहीं होती है ऐसे में यहाँ पर उन अधिकार की जानकारी दी जा रही है

पिता की संपत्ति में बेटी का क्या अधिकार है – महिलाओं के कानूनी अधिकार

बेटियों को पिता की संपत्ति में समान अधिकार है देश का संविधान महिलाओं के कानूनी अधिकार देता है वर्ष 2005 में हिंदी सक्सेसन एक्ट में बदलाव कर बेटियों को पिता की संपत्ति में समान अधिकार दिया गया हालांकि वर्ष 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिकार में एक और फैसला जोड़ दिया

इसके अनुसार बेटी को पिता की संपत्ति में समान अधिकार तभी मिल पायेगा अगर उसके पिता 9 सितम्बर, 2005 में जिस दिन हिंदी सक्सेशन(अमेंडेंट) एक्ट पारित हुआ उस दिन तक जीवित थे अगर पिता की मृत्यु 9 सितम्बर 2005 से पहले हो चुकी है तो बेटी इस हक़ से वंचित रह जायेगी

जीरो एफआईआर का अधिकार – महिलाओं के कानूनी अधिकार

सुप्रीम कोर्ट के आदेशअनुसार महिलाओं को कानूनी अधिकार प्राप्त है अगर किसी महिला के साथ कोई घटना घटटी है वो किसी शोषण का शिकार होती है तो जीरो एफआईआर रूलिंग के तहत वो किसी भी पुलिस स्टेशन में अपनी शिकयत दर्ज करा सकती है

उसे उसी इलाके के पुलिस स्टेशन में जाने की जरुरत नहीं है जहा घटना घटी है उसकी शिकायत के बाद पुलिस की जिम्मेदारी है कि वो उसकी शिकायत को सही सही स्थान पर पहुंचाकर कार्यवाही शुरू करे

एलिमनी मेंटेनेंस

महिलाओं के कानूनी अधिकार में हर महिला को आर्थिक सहायता का अधिकार मिला है जहा पति से अलग रहने वाली महिला को एलिमिनी और मेंटेनेंस का अधिकार है वही बुजुर्ग मां को अपने बेटे से एलिमनी मेंटेनेंस का पूरा अधिकार मिला है

बुजुर्ग महिलाओं के कानूनी अधिकार

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम् फैसला सुनाया जिसके अनुसार माता पिता के घर में बच्चे उनकी मर्जी से रह सकते है लेकिन बच्चे माता पिता का ख्याल नहीं रखते है, तो वो उन्हें घर से निकाल सकते है बुजुर्ग महिलाओं के साथ होने वाले तिरिस्कार को देखते हुए इस फैसले को लिया गया है

छह महीने की मैटरनिटी लीव इन हिंदी

हाल ही में महिलाओ के अधिकार में एक और इजाफा करते हुए सरकार ने काम करने वाली महिलाओ की मैटर्निटी लीव को 3 महीने में बढाकर 6 महीने कर दिया है

पति की संपत्ति पर पत्नी का अधिकार

हर महिला का अपने पति की संपत्ति पर समान अधिकार है तलाक के बाद पत्नी, पति की रिहायशी संपत्ति में भी आधे ही की हकदार है, इसलिए पति, पत्नी को अपने घर से निकाल नहीं सकता

समान काम समान वेतन कायदा

सरकारी एंव गैर सरकारी संस्था में काम करने वाली महिलाओ को वहां पर काम करने वाले पुरुष सहकर्मियों के बराबर सैलरी पाने का अधिकार है अगर किसी संस्थान में ऐसा नहीं हो रहा है तो महिला अपने हक़ के लिए आवाज उठा सकती है

संपत्ति का अधिकार अधिनियम

फाइनेंशियल जानकारी के आभाव में अक्सर महिलाए अपनी सम्पति पति/बेटे के नाम कर देती है जिसके लिए वह बाद में पछताती भी है सम्पति पुरुष के नाम ही हो, जरुरी नहीं, महिलाओं को कानूनी अधिकार है कि वह अपनी संपत्ति अपने नाम पर रख सके

लोकल सेल्फ गवर्नमेंट में अधिकार

पंचायत और म्युनिसिपल गवर्नमेंट में महिलाओं को 50 फीसदी सहभागिता का अधिकार है

गोपनीयता का अधिकार

कुछ मामलो में महिलाओं को अपनी पहचान गुप्त या गोपनीय रखने का अधिकार है अगर कोई उनकी पहचान को जगजाहिर करता है तो उसके खिलाफ सजा का प्रावधान है उसे दो साल की सजा और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है

आत्मरक्षा में हत्या का अधिकार

बलात्कार से खुद को बचाने के लिए अगर आत्मरक्षा में कोई महिला किसी की जान भी ले लेती है तो इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 100 के तहत उस पर मर्डर का चार्ज नहीं लगेगा आत्मरक्षा के इस कानून से बहुत सी महिलाए अनजान है ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हम सभी महिलाओं को इस कानून की जानकारी दे कि उन्हें रक्षा का पूरा अधिकार है

ससुराल में बहू के कानूनी अधिकार

पति और ससुरालवालो का जो लिविंग स्टैण्डर्ड है उसी मान-सम्मान और लिविंग स्टैण्डर्ड से रहने का अधिकार हर पत्नी को है बहुत से मामलो में महज दहेज़ के लालच में लोग शादी कर लेते है जबकि लड़की में उन्हें रूचि नहीं होती

ऐसे में अगर शादी के बाद पति-पत्नी के बीच शारीरिक सम्बन्ध नहीं बने मतलब आपकी शादी कन्जुमेंट नहीं हुई, तो आप हिन्दू मैरिज एक्ट के सेक्शन 12(1) के तहत शादी को अमान्य या निरस्त करवाने के लिए कोर्ट में मामला दाखिल कर सकती है साथ ही दहेज़ विरोधी कानून का इस्तेमाल कर सकती है

शादी से पहले या शादी के बाद मिले सभी स्त्री धन पर सिर्फ और सिर्फ महिला का अधिकार का होता है भले ही वह धन उसके पति या सास ससुर के पास क्यों न रखा हो आपकी मर्जी के बिना अकोई आपके स्त्री धन को न किसी को दे सकता है और न ही बेच सकता है

तलाक लेने का अधिकार

नाकाम शादी से निकलना किसी भी महिला के लिए आसान नहीं होता, ऐसे किसी रिश्ते में बंधकर रहना, जहाँ आपकी कोई अहमियत नहीं, से अच्छा होगा कि आप उस बंधन से खुद को आजाद कर दे, अगर आप भी ऐसी नाकाम शादी में फंस गई है, तो निम्नलिखित परिस्थितियो में आप अपने पति से तलाक लेने का हक़ रखती है :-

अगर कोई पति बेवजह अपनी पत्नी को दो साल तक छोड़ देता है तो पत्नी को/महिलाओं के कानूनी अधिकार में शामिल है कि वह तलाक ले सके पति से तलाक लेने के बाद अगर पत्नी दूसरी शादी नहीं करती है तो उसे पूर्व पति से एलिमिनी एंव मेंटेनेंस(गुजारा भत्ता) पाने का पूर्ण अधिकार है

किसी व्यक्ति को पागलपन के दौरे पड़ते हो उसे कोढ रोग या कोई छूआछूत की कोई ऐसी बीमारी हो जिसका इलाज संभव न हो, तो ऐसे मामले में पत्नी को कानूनी तलाक लेने का हक़ है अगर कोई व्यक्ति पत्नी के मर्जी के खिलाफ धर्म परिवर्तन कर लेता है तो पत्नी को पूरा अधिकार है कि वह अपने पति को तलाक दे दे

अगर पति अपने पत्नी को शारीरिक एंव मानसिक रूप से प्रताडित करता है तो ऐसे रिश्ते को निभाने के कोई मतलब नहीं , ऐसे में अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर आप ऐसे रिश्ते से छुटकारा पा सकते है

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