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GORAKHPUR DARGAH

GORAKHPUR DARGAH – गोरखपुर की 5 मशहूर दरगाह बारें में जानिए

GORAKHPUR DARGAH गोरखपुर की 5 मशहूर दरगाह बारें में जानिए – गोरखपुर की 5 ऐसे दरगाह जिनके बारे में क्या आप जानते है? गोरखपुर शहर अपने कई कारणों से जाना जाता है। और इसी में से एक कारण गोरखपुर शहर में वलियो के मजार एंव दरगाह । गोरखपुर में मौजूद दरगाह एंव मजार का ताल्लुक हजरत सैयद सालार गाजी मियाँ अलेहिर्रहमां से है और कुछ दरगाहो का वजूद आजादी में शहीद गाजीयो से है ।

गोरखपुर शहर के बारे में एक किताब दीवाने फानी में लिखा गया है: बादशाह औरंगजेब के पुत्र मुअज्जम शाह उर्फ बहादुर शाह प्रथम (1707-1712 ई.) ने गोरखपुर में नया शहर बसाया और आज के गोरखपुर शहर का नाम “मुअज्जमाबाद रखा” । एक और किताब शहरनामा से जानकारी मिलती है: शहजादा मुअज्जम शाह ने ही मुहल्ला धम्माल, अस्करगंज, शेखपुर, नखास बसाया और रेती पर पुल (उस वक्त राप्ती नदी पर) बनवाया ।

GORAKHPUR DARGAH – गोरखपुर की 5 मशहूर दरगाह बारें में जानिए

यहां जानिये गोरखपुर की 5 मशहूर दरगाह GORAKHPUR DARGAH – गोरखपुर शहर में बहुत से दरगाह एंव मजारांत मौजूद है । लेकिन कुछ दरगाह जिनके चर्चे काफी मशहूर है ऐसे में कुछ दरगाह के बारे में जाने –

NAKKO शाह BABA दरगाह धर्मशाला GORAKHPUR

नक्को शाह बाबा उर्फ़ नक्की शाह बाबा की दरगाह गोरखपुर के धर्मशाला पुल के नीचे स्थित है । यह दरगाह गोरखपुर का एक मशहूर दरगाह है । इस दरगाह पर बहुत से श्रद्धालु अपने मुरादों को लेकर आते है और अपने लिए मुराद पूरा होने की दुआ करते है ।

ऐसे तो सभी दिन श्रद्धालु आते है लेकिन गुरुवार को विशेष मान्यता होती है । ऐसे में इस दिन काफी चहल पहल भीड़ होती है । नक्को शाह बाबा की दरगाह जो मौजूद है । उसके पीछे एक कहानी काफी लोकप्रिय है । चलिए जानते है इस नक्को शाह बाबा की दरगाह की कहानी के बारे में जानकारी ।

नक्को शाह बाबा गोरखपुर आज के स्ममय में जहा स्थित है वह किसी और की संपत्ति हुआ करती है । ऐसे में संपत्ति का मालिक नक्को शाह बाबा को वहा से हटाना चाहता है । नक्को शाह बाबा को वहा से हटाने के लिए मकान मालिक कई तरह की योजना बनाया और सभी योजनाए बेकार हो गई।

एक योजना काफी लोकप्रिय है कहा जाता है संपत्ति का मालिक नक्को शाह बाबा को जीप में बैठाकर कही दूर के जंगल में छोड़ आया लेकिन जब संपत्ति का मालिक अपने घर आया तो वह हैरान हो गया क्योकि नक्को शाह बाबा संपत्ति के मालिक से पहले उसी स्थान पर आ चुके थे ।

ऐसे में संपत्ति का मालिक कई प्रयास इस तरह के किए लेकिन सभी योजनाए नाकामयाब हो जाती है । इस तरह से संपत्ति का मालिक हार मानकर नक्को शाह बाबा को जहा दरगाह स्थित है वहा रहने की इजाजत दे देता है ।

मुबारक खां शहीद दरगाह की कहानी

गोरखपुर शहर में लोकप्रिय दरगाह में से एक है मुबारक शहीद की दरगाह है । इस दरगाह का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष से भी अधिक पुराना है जो गोरखपुर के बेतियाहाता में स्थित है । दरगाह पर सभी धर्मो के लोग जैसे हिन्दू मुस्लिम एंव अन्य धर्म के लोग आस्था रखते है ।

गोरखपुर शहर के लोगो का कहना है इस दरगाह पर मुंशी प्रेमचंद की गहरी आस्था थी इसलिए इस दरगाह पर चादर का चढ़ाया करते थे । दग्र्गाह से प्रेरित होकर एक किताब ईदगाह भी लिखी ऐसी मान्यता है ।

हजरत मुबारक खां हजरत सैयद सालार मसूद गाजी मियां अलैहिर्रहमां के खलीफा व मुरीदीन में से थे। गांजी मियाँ अलैहिर्रहमां, हजरत मुबारक शहीद बाबा को बुराइयों को ख़त्म करने के लिए आपको गोरखपुर भेजा था ।

हक़ एंव बातिल की जंग आपने बहुत ही बहादुरी से लड़ा एंव लड़ाई के दौरान लगभग 29 वर्ष की उम्र में शाहदत का जाम पिया। ईद के चांद यानी शव्वाल माह की 26, 27, 28 को उर्स-ए-पाक मनाया जाता है। मेला लगता है। जिसमें हर मजहब के मानने वालों की शिरकत होती है।

शहीद बाबा की दरगाह बरगदहीं गोरखपुर

शहीद बाबा का आस्ताना दरगाह गंगा जमुना तहजीब का एक बड़ा नमूना है क्योकि बरगदहीं में मौजूद शहीद बाबा की दरगाह पर सभी धर्म हिन्दू मुस्मिल एंव धर्मो की आस्था है ।

गोरखपुर-महराजगंज फोरलेन पर बरगदहीं स्थित शहीद बाबा का आस्ताना क्षेत्र में काफी चर्चित है। जब कोई राहगीर इस रास्ते से गुजरता है तो अपनी सवारी को रोककर अपनी इच्छा अनुसार दान करके, अपने साथ अधजली हुई अगरबत्ती साथ ले जाता है ।

ऐसा इसलिए क्योकि मान्यता है की दरगाह से अगरबत्ती साथ ले जाने पर सफ़र में आने वाली बलाए शहीद बाबा की कृपा से टल जाती है । गोरखपुर शहर के लोगो की मान्यता है कि बाबा से जो भी मन्नत दिल से मांगते है वह पूरी हो जाती है ।

ऐसे में मन्नत या मुराद पूरी हो जाने के बाद श्रद्धालु खुश होकर आते है एंव प्रसाद के रूप कुछ न कुछ चढावा चढाते है । बरगदहीं स्थित शहीद बाबा का आस्ताने से गुजरने वाले राहगीर रूक कर इस दरगार पर सलामी देते है एंव फिर अपने मजिल की तरफ बढ़ते है।

हजरत मुंशा शाह शहीद रहमतुल्ला अलैह और हजरत मंगल शाह शहीद रहमतुल्ला अलैह की दरगाह गोरखपुर रेलवे स्टेशन

गोरखपुर रेलवे स्टेशन अपने सबसे लम्बे प्लेटफार्म के लिए जाना जाता है लेकिन गोरखपुर रेलवे स्टेशन की एक और ख़ास बात है गोरखपुर रेलवे स्टेशन के पटरियों के बीच स्थित दरगाह [ मजार ] जिसे देखने दूर दूर से लोग आते ।

गोरखपुर रेलवे स्टेशन दरगाह करीबन दो सौ वर्ष पुराना है जो गोरखपुर रेलवे स्टेशन की पटरियों की बीच स्थित है । हजरत मुंशा शाह शहीद रहमतुल्ला अलैह और हजरत मंगल शाह शहीद रहमतुल्ला अलैह की दरगाह गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर स्थित है ।

इस दरगाह की मान्यता है कि यह ऐसी दरगाह है जहा बाबा के चमत्कार देखकर अंग्रेजो के घुटने टेक दिए थे। ब्रिटिश सरकार लगभग १९३० में गोरखपुर में रेल पटरीया बिछा रही थी। हर दिन मजदुर मेहनत करके पटरीया बिछाते कर चले जात, लेकिन जब वह दुसरे दिन काम के लिए आते तो देखते रेल पटरीया उखड चुकी है।

एक दिन हजरत मुंशा शाह शहीद रहमतुल्ला अलैह का सपना अफसर या इंजिनियर की पत्नी को आया, ऐसे में अफसर की पत्नी ने सब कुछ जब बताया तो अफसर हैरान हो गया यह जानकर की मेरी पत्नी को यह सब कैसे पता?

अफसर की पत्नी सपने में जो देखा था वह अफसर को बताया फिर अफसर ने मजार दरगाह को छोड़कर रेल पटरिया बिछाना शुरू किया। रेल पटरी को छोड़कर जब पटरीया बिछाई गई, उसके बाद से रेल पटरीया उखड़ना बंद हो गया और तब से गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर रेल पटरीयो के बिच दरगाह स्थित है।

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