MADINA MASJID GORAKHPUR मदीना मस्जिद गोरखपुर फोटो, विडिओ MADINA MASJID GORAKHPUR VIDIO, PHOTO – गोरखपुर अपने कई नाम और काम के लिए जाना जाता है। लेकिन आज हम बात कर रहे गोरखपुर के कुछ मस्जिद के बारे में साथ ही MADINA MASJID GORAKHPUR के बारे में चलिए जानते है।
मदीना मस्जिद गोरखपुर फोटो, विडिओ
यहाँ जानिये मदीना मस्जिद गोरखपुर फोटो, विडिओ MADINA MASJID GORAKHPUR – शहर गोरखपुर में अलग अलग धर्मो के लोग निवास करते है इस शहर के लोग भले ही अलग धर्म के हो लेकिन प्रेम भाव एक दुसरे के लिए हमेशा रहता है। गोरखपुर शहर में बहुत से मंदिर मस्जिद मौजूद है।
जो कई सदियों पहले बनाया गया था। ऐसे में यह सभी ईमारत या कहे मंदिर मस्जिद गोरखपुर की एक तरह से पहचान है। आगे जाने गोरखपुर में मस्जिद और मदीना मस्जिद के बारे में जानकारी।
MADINA MASJID GORAKHPUR
ABOUT MADINA MASJID GORAKHPUR – ऐसे गोरखपुर शहर में कई मस्जिद है लेकिन गोरखपुर की मदीना मस्जिद की बात अलग है आपको बता दे मदीना मस्जिद का निर्माण मुग़ल काल में हुआ था। मदीना मस्जिद गोरखपुर का निर्माण औरंगजेब के दूसरे पुत्र शाहजरदा मुअज्जम शाह ने लगभग 350 वर्ष पूर्व कराया था। इस मस्जिद को बहुत से कलाकृति बनी हुई है जो मुगलिया सल्तनत को दर्शाती है।
गोरखपुर शहर का नाम बादशाह मुअज्जम शाह के नाम पर ही मुअज्जमाबाद पड़ा था साथ ही गोरखपुर के उर्दू बाजार का भी निर्माण बादशाह मुअज्जम शाह ने करवाया। गोरखपुर से सटे खलीलाबाद शहर का नाम भी मुग़ल सूबेदार खलीलुर्रहमान के नाम पर रखा गया है।
मदीना मस्जिद की चौड़ाई उत्तर से दक्षिण 90 फीट पूरब पश्चिम करीब 80 फीट है। मदीना मस्जिद में एक बार में करीब छह सौ से अधिक लोग एक साथ नमाज अदा करते हैं। वहीं जुमा, अलविदा, ईद, ईद-उल-अजहा में यहां पर करीब पांच हजार लोग नमाज अदा करते हैं।
इमामबाड़ा गोरखपुर
इमामबाड़ा गोरखपुर शहर की अब तक की सबसे प्रसिद्ध मस्जिद है। इमामों के निवास के रूप में भी जाना जाता है, इस मस्जिद की स्थापना लगभग १८वीं सदी के अंत में हुई थी जब गोरखपुर के पहले मियां साहिब सैयद रौशन अली ने इसे बनाया था।
गोरखपुर का इमामबाड़ा, गोरखपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह मस्जिद या इमामबाड़ा सप्ताह के सभी दिनों में सुबह 6:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है। इमामबाड़ा सोने चांदी की ताजिया के लिए भी जाना जाता है लेकिन सोना चांदी ताजिया वर्ष में केवल एक बार मुहर्रम त्यौहार के महीने में देखने को मिलता है।
READ THIS