PANCHSEEL SIDDHANT – बुद्ध के पंचशील सिद्धांत क्या है यहाँ जाने – आज हम आपको पंचशील उपदेश के बारे में बताने जा रहे हैं बौद्ध धर्म के वह 5 नियम जो कठोरता से पालन की प्रेरणा देती है। आइए बौद्ध पंचशील सिद्धांत का नैतिक स्वरूप को विस्तार से जानते हैं
पंचशील ही आदर्श जीवन का आधार है : बौद्ध आचार – भगवान गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की और विश्व भर को सत्य, शांति और मानवता सेवा करने का संदेश दिया शरीर में जो स्थान हृदय का होता है बुद्धिज्म में पंचशील का वही स्थान है। जैसे बिना धड़कन के शरीर की कोई उपयोगिता नहीं है, वैसे ही पंचशील के बिना बुद्धिजम निष्प्रयोज्य ही साबित होगा।
अतः बुद्धिजम में प्राण प्रतिष्ठा की स्थापना और उसे गतिशील बनाने के लिए पंचशील का पालन अति आवश्यक है। बुद्ध के अनुयायियों के लिए इन सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक माना गया है।
पंचशील खुशहाल जीवन का एक ऐसा मन्त्र है जिसका चिंतन, मनन और आचरण साधारण व्यक्ति को भी आदर्श व प्रभावशाली बना देता है। पंचशील कोई पूजा, आराधना या उपासना नहीं है। यह तो एक आदर्श जीवन जीने की एक आदर्श पद्धति है। इस जीवन शैली को संसार के सभी मनुष्यों पर समान रूप से प्रभाव डालकर एक स्वस्थ व स्वच्छ समाज के निर्माण में पूर्णतया कारगर सिद्ध होगी। आवश्यकता है बस इसे अपनाने की।
बुद्ध के पंचशील सिद्धांत
यहाँ पढ़े बुद्ध के पंचशील सिद्धांत – पंचशील का अर्थ- जीवन के प्रति सहज दृष्टिकोण – पंचशील का साधारण अर्थ शील अथवा सदाचार होता है। पंचशील शिष्टाचार से संबंधित सिद्धांत है। पंचशील शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के पांच सिद्धांत है ।
यह सदाचार मानव को संयमी में और आचारण पूर्ण जीवन जीने का संदेश देता है। पंचशील सिद्धांत हमें जीवन जीने का उत्तम तरीका सिखाते हैं। जिस प्रकार सनातन धर्म में सत्यम् शिवम् सुंदरम् सर्वोच्च मूल्य होते हैं उसी प्रकार यह पंचशील है- हिंसा ना करना, चोरी ना करना, व्यभिचार ना करना, झूठ ना बोलना, और नशा ना करना।
पंचशील के पालन से मनुष्य प्रज्ञा शील मैत्री करुणा आदि की भावना से परिपूर्ण होता है पंचशील के माध्यम से मनुष्य समाज एवं राष्ट्र का मंगल कर सकता है। हिंसा, नैतिक पतन, व्यभिचार और अनाचर को समाप्त किया जा सकता है।
महात्मा बुद्ध के पंचशील सिद्धांत सभी धर्मों के लिए प्रसांगिक है। धर्म का मतलब सही दिशा सही विचार का मार्गदर्शन करना। तथागत बुद्ध के बताए नियम संसार के सभी मनुष्यों पर समान रूप से प्रभावी हैं। अपने इन्हीं नियमों की वजह से बुद्धिजम विश्वव्यापी धम्म और बुद्ध विश्व गुरू के रूप में जाने जाते है। पंचशील का पालन करके सभी व्यक्ति सांसारिक बाधाओं से मुक्ति पाकर अपने जीवन को सुखी तथा समृद्ध बना सकते हैं।
PANCHSEEL SIDDHANT
BAUDH DHARM PANCHSEEL SIDDHANT – पंचशील मार्ग – पालि और हिन्दी में इसका भाव निम्नवत है –
1 – पाणातिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामी। मैं अकारण प्राणी हिंसा न करने की शपथ ग्रहण करता हूं।
2 – अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादिय़ामी। मैं बिना पूर्व स्वीकृति के किसी की कोई वस्तु न लेने की शिक्षा ग्रहण करता हूं।
3 – कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि। मैं व्यभिचार न करने की शिक्षा ग्रहण करता हूं।
4 – मुसावादा वेरमणी सिक्खापदं समादिया़मी। (मैं झूठ बोलने, बकवास करने, चुगली करने से विरत रहने की शिक्षा लेता हूं।
5 – सुरामेरयमज्ज पमादट्ठाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामी। मैं कच्ची व पक्की शराब, मादक द्रव्यों के सेवन,प्रमाद के स्थान (जूआंघर आदि) से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूं।
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